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लेखनी प्रतियोगिता -08-Jul-2023 "तलाश"

   "तलाश"

निकले थे हम घर से दोस्तों की तलाश में। ‍‍ ‍
दूर बहुत निकल आये दिलों के बाज़ार में।। 

ढूंढने हम लगे लोग अपने मिजाज़ के। 
रह गए हम तब बैठें मुखौटों के अज़ाब में।। 

सौदा भी हम कर आये अपने एहितराम का। 
मुंतशिर से रह गए फ़िर भी अपने ही ख़याल से।। 

बहारों से भरे जिस शज़र के हम थे तलाश में। 
घायल हो इक परिंदा गिरा उसी की डाल से।। 

ढूंढ रहे थे चराग़ मंज़िल की फ़िराक में। 
उजड़ा हुआ मंजर मिला हमको तो राह में ।।

मधु गुप्ता "अपराजिता"










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4 Comments

बेहतरीन बेहतरीन बेहतरीन

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बहुत बहुत धन्यवाद और आभार आपका🙏🙏

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Alka jain

08-Jul-2023 09:47 PM

Nice 👍🏼

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Thank you so much🙏🙏

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